मुंबई-वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन में आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं होने से ड्यूटी पर गैर हाजिर रहने वाले दिव्यांग कर्मचारियों को मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को बड़ी राहत दी है. मनपा प्रशासन ने वैकल्पिक यात्रा की व्यवस्था न होने के कारण पहले तो काम पर अनुपस्थित रहने वाले विकलांग कर्मचारियों को वेतन देने की बात कही लेकिन बाद में वेतन में कटौती कर दिया।मुबई उच्च न्यायालय ने मनपा प्रशासन को दिव्यांगों के कटे हुए वेतन को दो किश्तों में देने का निर्देश देते हुए कहा है कि दिवाली से पहले पहली किस्त और 45 दिनों के भीतर दूसरी किस्त का भुगतान दिया जाए। उल्लेखनीय है कि 21 मई को जारी किए गए परिपत्र के अनुसार मनपा विकलांग कर्मचारियों को छुट्टी का भुगतान देने के लिए सहमत हो गयी थी लेकिन उसके बाद 26 मई को यह कहते हुए फिर से सर्कुलर जारी किया गया कि छुट्टी का भुगतान नहीं किया जाएगा।
कर्मचारियों को उतने ही दिनों का भुगतान किया जाएगा जितना दिन वे काम पर मौजूद रहेंगे। नतीजतन लॉकडाउन के दौरान मनपा के 268 विकलांग कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं मिला। उदय वरुंजिकर की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका की उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मनपा प्रशासन द्वारा जारी यह अध्यादेश गलत है, ऐसी स्थिति में विकलांग कर्मचारियों के वेतन को रोकना अवैध है। इन विकलांग कर्मचारियों को उनका वेतन मिलना चाहिए। उच्च न्यायालय ने मनपा प्रशासन को दिव्यांग कर्मचारियों को दो किस्तों में काटी गयी पगार का भुगतान करने का निर्देश दिया है।